8th Pay Commission News कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग को लेकर सरकार का झटका
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि फिलहाल 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। राज्यसभा में मंगलवार को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह बात स्पष्ट की। यह खबर लगभग 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स के लिए निराशाजनक है, जो लंबे समय से वेतनमान और भत्तों में संशोधन का इंतजार कर रहे थे।
8वें वेतन आयोग की ताजा स्थिति
डीए (महंगाई भत्ता) की मौजूदा दर 53% पर पहुंच चुकी है। सामान्य नियमों के अनुसार, डीए 50% पार करने पर वेतनमान और भत्तों में बदलाव होना तय है। बावजूद इसके, 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग की थी। इसके बावजूद सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
संसद में उठा 8वें वेतन आयोग का सवाल
संसद सत्र में राज्यसभा सांसद जावेद अली खान और अंजीलाल सुमन ने 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर सवाल किया। उन्होंने जानना चाहा कि क्या सरकार 2025 के बजट सत्र में 8वें वेतन आयोग के गठन पर विचार कर रही है।
इस सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इससे पहले, इंडियन रेलवे टेक्निकल सुपरवाइजर संगठन ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मुद्दे पर चर्चा की थी, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया था कि अभी 8वें वेतन आयोग पर कोई योजना नहीं है।
नए बजट में हो सकता है बड़ा ऐलान
हालांकि, नए साल में केंद्रीय बजट के दौरान सरकार 8वें वेतन आयोग पर विचार कर सकती है। कर्मचारियों और उनके संगठनों की लगातार मांग और आंदोलन की चेतावनी को देखते हुए, यह उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इस मुद्दे पर कुछ बड़ा फैसला ले सकती है।
अगर 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं, तो इन्हें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी किया जा सकता है। यह कदम कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है।
कर्मचारियों की मांग और सरकार की स्थिति
कर्मचारी संगठनों की ओर से बार-बार यह मांग उठाई जा रही है कि महंगाई और जीवन स्तर को देखते हुए 8वें वेतन आयोग का गठन जल्द किया जाए। लेकिन सरकार ने अब तक स्पष्ट किया है कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
आंदोलन और दबाव के चलते सरकार इस मुद्दे पर अपना रुख बदल सकती है। कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि वे इस मामले पर सरकार की आगामी घोषणाओं पर ध्यान बनाए रखें।