केंद्र सरकार में स्थायी नियुक्तियां घटने का मामला
राज्यसभा में स्थायी नियुक्तियों पर सवाल
राज्यसभा में श्री जावद अली खान और श्री रामजी लाल सुमन ने प्रधानमंत्री से सवाल (प्रश्न संख्या 450) पूछते हुए केंद्र सरकार में स्थायी नियुक्तियों में कमी और संविदा आधारित कर्मचारियों की बढ़ती संख्या पर जवाब मांगा है। इन सवालों का जवाब मांगते हुए उन्होंने स्थायी और संविदा आधारित नियुक्तियों का विस्तृत ब्योरा मांगा।
स्थायी नियुक्तियों में गिरावट के सवाल
क्या प्रधानमंत्री जी कृपया 8 अगस्त 2024 को राज्यसभा में दिए गए प्रश्न संख्या 2042 के जवाब का संदर्भ लेकर यह बताने की कृपा करेंगे:
(a) क्या 2019 से अब तक सरकार ने स्थायी नियुक्तियों के मुकाबले अधिक संविदा आधारित कर्मचारियों को नियुक्त किया है?
(b) यदि हां, तो केंद्र सरकार में स्थायी नियुक्तियों में गिरावट का कारण क्या है?
(c) यदि नहीं, तो 2019 से 1 नवंबर 2024 तक मंत्रालय/विभाग/पीएसयू के अनुसार संविदा आधारित और स्थायी नियुक्तियों का अलग-अलग और वर्षवार विवरण क्या है?
राज्य मंत्री का जवाब
कर्मचारी, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री (डॉ. जितेंद्र सिंह) ने इस पर जवाब देते हुए कहा:
(a) से (c):
सरकारी पदों को भर्ती नियमों के अनुसार भरा जाता है। हालांकि, जनरल फाइनेंशियल रूल्स, 2017 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि काम की तात्कालिकता, दक्षता और परिचालन की अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय/विभाग कुछ गैर-परामर्श सेवाएं अनुबंध के आधार पर ले सकते हैं।
संविदा आधारित सेवाओं की प्रक्रिया:
- मंत्रालय और विभाग अपनी जरूरतों के अनुसार संविदा आधारित सेवाएं लेते हैं।
- इसके लिए वे नियम 198 के तहत प्रक्रियाओं और निर्देशों का पालन करते हैं।
- यह सेवाएं अस्थायी रूप से ली जाती हैं और स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद पद भरे जाते हैं।
स्थायी नियुक्तियों की स्थिति:
मंत्रालय और विभाग खाली पदों पर स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
डेटा का अभाव:
- सरकार के पास विभिन्न मंत्रालयों में संविदा आधारित नियुक्तियों का केंद्रीकृत डेटा उपलब्ध नहीं है।
- इस विषय पर अधिक जानकारी संबंधित मंत्रालयों से ही प्राप्त की जा सकती है।
सरकार के जवाब का प्रभाव
यह जवाब संविदा आधारित और स्थायी नियुक्तियों के संतुलन को लेकर स्पष्ट दिशा नहीं दिखाता है। सवाल यह उठता है कि क्या संविदा आधारित व्यवस्था लंबे समय में स्थायी नौकरियों को प्रभावित कर रही है। सरकारी तंत्र में इस मुद्दे पर पारदर्शिता और स्पष्टता की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
स्थायी नियुक्तियों में गिरावट की वजह
विशेषज्ञों का मानना है कि संविदा आधारित मॉडल के पीछे प्रशासनिक लचीलापन, लागत में कमी और तेज़ी से काम पूरा करना मुख्य कारण हैं। लेकिन, यह मॉडल लंबे समय में कर्मचारियों की स्थिरता और सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
आने वाले दिनों में क्या बदलाव होंगे?
सरकार को स्थायी और संविदा आधारित नियुक्तियों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बेहतर योजना की आवश्यकता है। इससे न केवल कर्मचारियों में विश्वास बढ़ेगा, बल्कि कार्यक्षमता में भी सुधार होगा।